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जिधर भी है तू ऐ जिंदगी,
बस अपने होने की खबर दे जा..
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दुनिया में चेहरे तो बहुत देखे मैंने,
बस एक तेरा ही चेहरा हर वक्त नजर आया...
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अब तो बस दिल की यही ख्वाइश हैं,
या तो तेरे इश्क में बर्बाद हो जाऊं या फिर बदनाम हो जाऊं...
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बीत गई उम्र पर,
उसे भुला न सके...
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देखना एक दिन,
इस पागल की मोहब्बत तुझे याद आएगी..
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समंदर के पास खड़े थे,
फिर भी प्यासे रह गये...
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जाते जाते निशानी वो अपनी दे गया,
शायद लौटकर आने का इरादा न था...
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आने का वादा करके गया था जो,
बरसों बीत गए पर वो आया नहीं..
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बरसो बीत गए बिछड़े हुए,
पर याद आती हैं आज भी तू...
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न जाने इश्क में ये कैसी तलब हैं,
न हीं प्यास बुझती हैं न हीं दिल भरता है.....
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मैं ठहर तो जाता,
पर उसने रोका ही नहीं..
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शायद अब वो हमें भुल चुका है,
क्योंकि अब उसका चेहरा याद नहीं आता...
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सोचा था कि,
कह देंगे दिल की बात..
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हम तो बर्बाद हुए पड़े हैं,
उसकी मोहब्बत मैं...
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हमें तो अपनों ने ही बर्बाद किया,
जमाने से भला क्या शिकायत करते.....
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उस रात को मैं भला कैसे भुल जाऊं,
जो आखरी रात तेरे साथ गुजारी थी...
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इश्क हुआ तुमसे तो,
फिर बेशुमार हुआ..
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एक तरफा मोहब्बत भी,
क्या खूब रुलाती है..
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हमें मोहब्बत तो हुई थी,
पर एक तरफा ....
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हमने जिसे चाहा,
वो हजारों गम दे गया...
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भर जाती है आंखें,
जब याद आता है वो जमाना...
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अब तो धीरे-धीरे ख्वाइशें भी मर चुकी है,
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जिंदा हूं बस,
दुनिया की नजरो में...
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भुलाना तो चाहा तुझे,
पर तू दिल से गई ही नहीं...
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चाहती क्या है तू,
ऐ जिंदगी जरा ये तो बता...
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इतने भी जख्म न दे ऐ जिंदगी,
कि मैं तेरे दिए जख्म सह भी न पाऊं...
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रुलाना छोड दे ऐ जिंदगी अब तू
अब तो सुक चुका है आंखों का समंदर भी...
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चाहे जितना मर्जी सता लो,
हम मरते दम तक सह लेंगे....
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हमें तो उन गलियों से भी मोहब्बत है,
जिन गलियों से तू आया जाया करती हैं...
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हमें प्यार तो है,
पर उसकी यादों से हैं...
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