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कहां गई तू कहां गई तेरी मोहब्बत,
वक्त मिले तो जरा बताना...
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मुझे जमाने की परवाह नहीं,
मुझे तो पगली सिर्फ तेरी परवाह है...
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आखिर कब तक रहोगी दूर हमसे,
एक न एक दिन तो आना पड़ेगा मिलने हमसे...
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मालूम है हमें,
कि तू बदल गई है....
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तू सोचती है हम तेरे हुस्न पे मरते हैं,
अच्छा जब तेरा हुस्न ढल जाए तब आ जाना....
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कहां से लाऊं वो दौलत,
जिस पे तू मरती है....
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मालूम हैं हमें,
कि तू हम पे नहीं हमारी दौलत पे मरती हैं....
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खुदा का दिया सब कुछ है,
बस एक तू ही नहीं है..
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कुछ भी नहीं जिंदगी में,
तनहाई के सिवा.....
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काश हमारी भी,
किसी को फ़िक्र होती...
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हम तो दबे पढ़े हैं,
तेरी यादों के बोझ के तले...
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आखिर कर ही दिया न,
इस दिल को छल्ली....
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जो कल तक हमारे थे,
आज हम उनके लिए पराए हैं..
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मेरे जैहन मैं तू ही तू है,
और तेरे सिवा कुछ भी नहीं.....
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तू वफा कर या न कर,
हम करते ही रहेंगे..
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एक तरफा प्यार ही सही,
पर तुमसे प्यार तो है...
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जीते जी न ही सही,
मरने के बाद दो आंसू बहा जाना...
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क्या खूब तरसाया है.
एक बेवफा ने मुझे...
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इतना कभी तड़पा न था,
जितना तेरे लिए तड़पा हूं...
ये मोहब्बत नहीं है तो
और क्या है
जरा सोच कर कभी बता
ऐ संग दिल ये
मोहब्बत नहीं तो और क्या हैं
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ये संगदिल,
दर्द-ऐ-जुदाई
अब सही नहीं जाती..
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हम तेरे कितने पास है न,
और तू हमसे कितनी दूर हैं न...
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आज फिर तेरी मोहब्बत याद आयी,
थोड़ी बहुत नहीं बेशुमार याद आयी...
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सच में अब हमसे,
तेरा कोई ताल्लुक नहीं है क्या....
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नजरों से दूर रहती है,
पर दिल से करीब रहती है....
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कभी दूर न जाना हमसे,
क्योंकि हम जीना पाएंगे तेरे बिन...
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देखा जब तुझे तो ख्याल आया,
कि कितना हसीन तुझे रब ने बनाया हैं...
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मेरी जिंदगी का फैसला अब तेरे हाथ में हैं,
तू हां कर या न कर....
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मुझे बस इतना बता दे ये खुदा,
तू है या नहीं...

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