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Sad Shayari |
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वो मोहब्बत ही क्या,
जिस मैं दर्दे न मिले...
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जिनके हम करीब रहते हैं,
वही हमसे दूर होते हैं..
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उसे मोहब्बत तो हैं,
पर वो इजहार करना नहीं चाहती..
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वक्त मेरा,
वक्त ठहर सा गया है..
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समझ नहीं आता,
जाऊं भी तो किधर जाऊं....
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जो दर्द तूने दिया ये जिंदगी ,
वो क्या कम था...
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बहुत दर्द दिया जिंदगी ने,
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दर्द के सिवा,
ज़िंदगी ने दीया कुछ भी नहीं ...
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जो भी मिला,
नसीब का मिला..
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दर्दे ही सही,
कुछ तो मिला...
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मोहब्बत हुयी तो दर्द मिला,
दर्द हुआ तो दिल रोया
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सुकून सा मिला है,
जब जी भर रोया हूं..
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मालूम नहीं मुझे,
मै किस जहां में खोया हूं...
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ढूंढ रहा हूं उसे,
जो मिलता ही नहीं..
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तलाश में हूं उसकी,
जो बना नहीं...
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वो कहकर गई थी लौटकर आऊंगी,
हम इंतजार न करते और क्या करते हैं
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खोया हूं बस,
उसके ही ख्यालों में...
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हुआ जब दिल में दर्द तो,
याद आया दर्द देने वाला...
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जिसकी हम तलाश में हैं,
सायद हाथों में उसकी रेखा ही नहीं...
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जीते रहे और के लिए,
खुद जीना ही भूल गए...
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हमें तू समझ ही न पाई तो,
इसमें हमारी क्या खाता...
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एक तनहाई ही तो हैं,
जो हर दम साथ रहती है...
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तू दूर तो है मगर,
दिल के पास रहती है..
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वो घर घर सा न लगा,
जब गया बरसो के बाद..
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विरान सा लगा वो धर,
जब धर में तू न मिली...
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वादे हजार करके वो चली गई
निशानी मोहब्बत की छोड़ गई
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भुझ रहा है वो दिया,
जिसे जलाकर तू गई थी...
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फिर कोई कदम उठाऊ,
ऐ जिंदगी तेरा क्या ख्याल है...
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जी तो रहा हूं,
पर और के लिए...
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ढूंढ रहा हूं,
आजकल खुद को..
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तेरे इश्क में बर्बाद हो जाएंगे,
कभी हमने सोचा न था...
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न जाने कहां खो गए वो लोग,
जो साथ साथ चलने का वादा किया करते थे..
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नजरों में रहा जो,
वो करीब आया ही नहीं..
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हमें जिसे मोहब्बत हुई,
उसे मोहब्बत हमसे हुई ही नहीं ....
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हम भी तो तेरे मजहब के हैं,
फिर हमसे पर्दा क्यों...
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